Life Iz Colorful
Saturday, September 5, 2015
Wednesday, January 1, 2014
Monday, November 4, 2013
Diwali... The Festival of Lights
"Diwali", the festival of lights,
illuminates the darkness of the New Year's moon,
and strengthens our close friendships and knowledge,
with a self-realization!
illuminates the darkness of the New Year's moon,
and strengthens our close friendships and knowledge,
with a self-realization!
Diwali
is celebrated on a nation-wide scale on Amavasya - the 15th day of the
dark fortnight of the Hindu month of Ashwin, (October/November) every
year.
It symbolizes that age-old culture of India which teaches to
vanquish ignorance that subdues humanity and to drive away darkness that
engulfs the light of knowledge.
Diwali, the festival of lights even
to-day in this modern world projects the rich and glorious past of
India.
Saturday, October 5, 2013
Kya Aaj ka Ravan Mar Gya Hai
नवरात्री और दसहरा के सन्देश में कई ऐसे
प्रश्न आते हैं की क्या रावण का कठपुतला जला देने से बुरे का अंत हो जाता
है ? क्या आज का रावण मारा गया?
आज का रावण अस्त्र शास्त्र से नहीं मरेगा क्योंकि सिर्फ एक रावण नहीं है जिसे ल्ख्च्य कर निशाना साध दिया जाये और विश्व में शांति आ जाये | कलयुग में हम खुद ही रावण प्रवृति को बढ़ावा दे रहे हैं | खुद को आगे बढ़ने के के लिए एक दुसरे का गला काट रहे हैं और अपने आपको को विजय साबित कर रहे हैं, खुशियाँ मना रहे हैं और जब यही इस्थिति अपने पर आ जाती है तो हम फिर भगवान को पुकारने लगते हैं | अब आप ही बताओ भगवान कितने रावण का उधार करेगा ? प्रजातंत्र के नाम पर आज रावण तंत्र है की नहीं ? किसी पार्टी का टिकेट चाहिए तो करोड़ लगता है | इतना पैसा तो अब कोई सच्चा इंसान तो दे नहीं सकता | प्रजातंत्र तो यहीं ख़तम हो जाती है | आपके पास सिर्फ option ये रह जाता है की इस राक्षस को चुनु या उस राक्षस को | तो प्रजातंत्र रहा कहाँ ? राक्षस तंत्र हुआ न |
बहुत कुछ कहने को है पर अभी नहीं.........
आज का रावण अस्त्र शास्त्र से नहीं मरेगा क्योंकि सिर्फ एक रावण नहीं है जिसे ल्ख्च्य कर निशाना साध दिया जाये और विश्व में शांति आ जाये | कलयुग में हम खुद ही रावण प्रवृति को बढ़ावा दे रहे हैं | खुद को आगे बढ़ने के के लिए एक दुसरे का गला काट रहे हैं और अपने आपको को विजय साबित कर रहे हैं, खुशियाँ मना रहे हैं और जब यही इस्थिति अपने पर आ जाती है तो हम फिर भगवान को पुकारने लगते हैं | अब आप ही बताओ भगवान कितने रावण का उधार करेगा ? प्रजातंत्र के नाम पर आज रावण तंत्र है की नहीं ? किसी पार्टी का टिकेट चाहिए तो करोड़ लगता है | इतना पैसा तो अब कोई सच्चा इंसान तो दे नहीं सकता | प्रजातंत्र तो यहीं ख़तम हो जाती है | आपके पास सिर्फ option ये रह जाता है की इस राक्षस को चुनु या उस राक्षस को | तो प्रजातंत्र रहा कहाँ ? राक्षस तंत्र हुआ न |
बहुत कुछ कहने को है पर अभी नहीं.........
Saraswati Puja - Basant Panchami
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